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Saturday, February 11, 2012

SSLC MODEL QUESTIONS (HINDI)

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SSLC -2012
MODEL QUESTION PAPER- HINDI
Std 10 Total Score : 40
Time : 1:30 hrs.







खंड -क
1.निम्नांकित घटनाओं को क्रमबद्ध करके लिखें। 2
∙ लोग मरे हाथी के दाँत निकाले।
∙ हाथियों का झुंड लाश को दफ़नाया।
∙ बिजली के झटके से हाथी की मौत हुई ।
∙ एक हाथी तोरपा ब्लाँक पहूँचा।
2.निम्नांकित चरित्रगत विशेषताओं से गजाधर बाबु की विशेषताएं चुनें।लिखें कि इसका 3
आधार क्या है ?
∙ स्नेही व्यक्ति
∙ अपने हालत से खुश
∙ परिवार से प्रेम करनेवाला
3.सही मिलान करें।
Stamp संगणक
Interruption डाक टिकट
Internet रुकावट
Computer अंतरजाल
4.“पढ़े-लिखे लोग भी घर-घर घूमते है और अनपढ़ भी।” सकुबाई ऎसा क्यों कहती हैं? 2
5.हथेली भर साबुन की टिकिया से नदी युद्ध हार गयी।कवि यहाँ किसकी ओर इशारा
करते हैं? 2
6.मरने के बाद भी कुछ लोग समाज के काम आते हैं? कैसे? 2
सूचना :- 7और 8में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लिखें। (1x3=3)
7.बंबई से नाक ठीक करके आए बाबुलाल तेली के साथ साक्षात्कार करने एक पत्रकार
आता है।पत्रकार द्वारा तैयार की गई प्रश्नावली कल्पना करके लिखें।
8. माली के बच्चे की मृत्यु के प्रसंग पर डौली और आया के बीच वार्तालाप चलता है।
वह वार्तालाप तैयार करें।
सूचना :- 9 से 11 तक के प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखें। (2x4=8)
9.गौरा की मौत की खबर देते हुए महादेवी वर्मा अपनी बहन श्यामा को पत्र लिखती है।
वह पत्र तैयार करें।
10.डाँ.शाँता ने अपना जीवन जन-सेवा में समर्पित किया है।शांता के साक्षात्कार से मिली
खबरों के आधार पर उनकी जीवनी तैयार करें।
11.“ बाज़ार में चीज़ें खरीदते समय लोग ठगे जाते हैं” वर्तमान उपभोक्तावादी संस्कृति के आधार पर प्रस्तुत विषय पर एक लेख तैयार करें।
खंड-ख
सूचना :- निम्नलिखित कविता पढें और उसके नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखें।
मैं सदा ही निस्वार्थ अर्पण करता रहा
अपना सर्वस्व तुम्हें और
पत्र-पत्र बिखेरता रहा हरियाली
तुम्हारे जीवन की हर पग पर
सँवारता रहा इस धरा को
किसी सुहागिन की माँग की तरह
परंतु...क्या हो गया है तुम्हें
किस कारण तुले हो
मेरे मूल को ही नष्ट करने पर
आज मेरी विनय सुनो मनुष्य!
रोक दो इस विनाश को
क्योंकि यह मेरा नहीं ashokhindiblogspot.com
स्वयं तुम्हारा ही विनाश है।
12.यहाँ वृक्ष किससे विनय कर रहा है? 1
(मनुष्य से , धरा से, हरियाली से,सुहागिन से)
13.वृक्ष का विनय क्या है ? 1
14.कविता का भाव लिखें। 2
15.“स्वच्छ पर्यावरण स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।”इस संदेश के प्रचार-प्रसार
के लिए नगरपालिका की तरफ़ से एक पोस्टर तैयार करें। 2
16.मान लें, आपके स्कूल "रक्तदान की महिमा " विषय पर एक संगोष्ठी का आय़ोजन
कर रहा है।संगोष्ठी की सूचना देते हुए स्कूल के प्रधानाध्यापक की तरफ़ से एक
उद् घोषणा तैयार करें। 2 खंड-ग
17.निम्नलिखित खंड का संशोधन करके लिखें। 2
मुझे आज दफ्तर से जल्दी घर पहूँचनी थी।पर क्या करें?बाहर बारिश हो रहा था।
मैं ने छतरी नहीं लिया था। बारिश के बन्ध होने का इंतज़ार करता रहा।
18.निम्नांकित वाक्यों को मिलाकर लिखें। 2
यह मेज़ है।
मेज़ पर कलम है।
कलम नीली है।
कलम मेरी है।
19.उचित योजक जोड़कर वाक्यों को मिलाएँ। 2
( और, लेकिन,इसलिए)
कल मुझे बुखार थी। मैं स्कूल न आ सका।
मुझे नींद आ रही थी। मैं सो न सका।
20.निम्नांकित खंड़ पढ़ें।उचित स्थान पर विशेषण शब्द जोड़कर खंड का पुनर्लेखन करें।
(छोटी, हाथ पकड़कर,बूढ़ी,जल्दी,जल्दी,धीरे-धीरे)

मेरी.......माँ …....मंदिर जा रही थी।मेरी ….... बेटी …....उसे ले जा रही थी। 2

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Saturday, January 28, 2012

रपट

गाय के साथ ग्वाला का निर्दयत्व


फरूखाबाद - घर में दुग्ध-दोहन के लिए आए ग्वाले ने गाय को गुड़ मेंलपेटकर सूई खिलाई।पशु-चिकित्सकों ने अनेक प्रकार के निरीक्षण-परीक्षण,एक्स-रे आदि द्वारा रोग निर्णय दिया है।डाँक्टर ने बताया कि जब यह सूई गाय के रक्त-संचार के साथ ह्दय के पार हो जाएगी,तब गाय की मृत्यु निश्चित है।सूई की बात ज्ञात होते ही ग्वाला अंतर्धान हो गया।

नदी और साबुन

समस्याक्षेत्र : जलस्थल संसाधनों के प्रबंधन में वैज्ञानिकता का अभाव।
आशय एवं धारणाएँ : प्रकृति पर मानव के अनियंत्रित हस्तक्षेप से प्राकृतिक संपदा का शोषण बढना।
सहायक सामग्रियाँ : चित्र के स्लाइड, प्रपत्र, कवि का आलापन का वीडिओ (ICT),TB,HB, अनूदित कविता
प्रक्रियाएँ
निर्धारण

संबंध कथन:
बच्चो, छुट्टी के दिन कैसे रहे ? बताऒ आपने क्या-क्या किये ?
छात्रों की प्रतिक्रियाओं को सूचीबद्ध करें।
जैसे :- यात्रा की, कंप्यूटर पढा आदि ।
बच्चो, छुट्टी के दिन पढने केलिए पाठ्यपुस्तक में दो पाठ थे, किसीने पढा है क्या ?
पाठ कौन-कौन-से थे ?
छात्रों की प्रतिक्रियाओं को सूचीबद्ध करें। (मुन्नु की स्वतंत्रता, ईचक दाना बीचक
दाना) ।
प्रश्न पूछें, पाठ पढने के बाद आपने क्या किया ?
छात्रों की प्रतिक्रियाओं को सूचीबद्ध करें।
जैसे :- पत्र
क्या आपने परसाई जी का पत्र कल्पना करके लिखा है कि नहीं ?
देखो बच्चो, मैं आपको एक कागज दे रहा हूँ, पढकर पूरा करो ।
पत्र की अधूरी रूपरेखा छात्रों दें और पूरा करवाएँ ।
(यहाँ क्लिक करें)
TV का प्रस्तुतीकरण करें और स्वनिर्धारण करने का अवसर दे ।
















छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)











आपसी निर्धारण (TM)

संबंध कथन:
बच्चो, पिछले साल नवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक की अंतिम इकाई में हम नॆ कौन सी समस्या और आशय पर चर्चा की थी?
छात्रों की प्रतिक्रियाओं को सूचीबद्ध करें।
जैसे १. अवैज्ञानिक जल प्रबंधन के कारण लोगों को सब कुछ छोड़कर पलायन
करना पड़ता है।
२. पानी की कमी एक विकट समस्या है।
३. जल का महत्व जाननेवाले थे हमारे पूर्वज।
४. जल संरक्षण के अच्छे नमूने ।
(यहाँ क्लिक करें)
ठीक है वच्चो, आप ने ठीक ही कहा है। देखो, मैं कुछ दृश्य आप को दिखाता हूँ। देखिए।
SLIDE I (यहाँ क्लिक करें)
वच्चो, आपने दृश्य देखे है न? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
आपने कौन-से दृश्य देखे ? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
इस पर आपका विचार क्या है? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
दृश्य किस विषय की चर्चा कर रहे हैं? (छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
प्रदूषण के कारण क्या-क्या हो सकते है?
(छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।)
(यहाँ क्लिक करें)
प्रदूषण से जल स्रोतों की रक्षा कैसे संभव है?
छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।
कहें, बच्चो, नदी के संबंध में लिखी एक कविता हमारी दसवीं कक्षा की पाठ्य पुस्तिका में है। देखिए।
प्रश्न करें।
बच्चो, पाठ्य पुस्तिका में कितनी इकाइयाँ है?
पहली इकाई कौन सी है?
पहली इकाई का पहला पाठभाग कौन सा है?
कवि और कविता का नाम क्या है?
निर्देश दें, कि बच्चो, अब आप लोग नदी और साबून नामक कविता का वाचन करें।






नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) TB
(आ सी टी द्रारा पूरी कविता दिखाएँ।)
कविता में कौन-कौन से जीवजंतुओं के नाम है?
बाघ, मछली, कछुआ, हाथी
इन्हीं नामों के आधार पर दल बनाएँ।
दल में शंका समाधान का अवसर दें।
अन्य दलों से शंका समाधान का अवसर दें ।
कविता का विश्लेशण करें।
SLIDE 2 (यहाँ क्लिक करें)
नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) शब्दार्थ
नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) mpg
विश्लेषणात्मक प्रश्न करें।
कविता में ऩदी किस अर्थ में प्रयोग किया हैँ?
कारखाना शब्द का अर्थ क्या है, इसका मतलब क्या हैँ?
साबून का प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
मरी हुई इच्छा का मतलब क्या हैँ?
कविता का वैयक्तिक रूप से आस्वादन टिप्पणी लिखने का निर्देश दें।
दल में चर्चा करके परिमार्जन करने का निर्देश दें।
दलों से उपजें एकत्रित करें और अदल-बदलकर अन्य दलों में दें।
पूछें, आस्वादन टिप्पणी की मूल्याँकन बिंदुएँ क्या-क्या है?
उत्तरों को सूचीबद्ध करें। (यहाँ क्लिक करें)
कवि और कविता का परिचय
भावपक्ष
शिल्पपक्ष
भाषा
प्रासंगिकता
अपना मत
पूछें, तो आस्वादन टिप्पणी की मूल्याँकन सूचक क्या-क्या है?
(यहाँ क्लिक करें)
दलों में मिली आस्वादन टिप्पणी का मूल्यांकन करने का निर्दोश दें।
हर दलें से मूल्यांकन संबंधी टिप्पणी करने का निर्देश दें।
प्रस्तुतीकरण करवाएँ।
अद्यापक अपना प्रस्तुतीकरण करें।
(यहाँ क्लिक करें)
पाठ्यपुस्तक की मूल्यांकनफारमाट के आधार पर आस्वादन टिप्पणी का स्वनिर्धारण करें।
पुनर्लेखन करके पोरट फोलियो में संकलन करने का निर्देश दें।
(मलयालम परिभाषा)Test
(हिंदी)mp3 (1)
(मलयालम)Mp3








छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)





















छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)








छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)











छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)



छात्रों की भागीदारी पर टिप्पणी(TM)







छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)




छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)









छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)
छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)























संबंध कथन:
बच्चो, पिछले साल नवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक की अंतिम इकाई में हम नॆ कौन सी समस्या और आशय पर चर्चा की थी?
छात्रों की प्रतिक्रियाओं को सूचीबद्ध करें।
जैसे १. अवैज्ञानिक जल प्रबंधन के कारण लोगों को सब कुछ छोड़कर पलायन
करना पड़ता है।
२. पानी की कमी एक विकट समस्या है।
३. जल का महत्व जाननेवाले थे हमारे पूर्वज।
४. जल संरक्षण के अच्छे नमूने ।
(यहाँ क्लिक करें)
ठीक है वच्चो, आप ने ठीक ही कहा है। देखो, मैं कुछ दृश्य आप को दिखाता हूँ। देखिए।
SLIDE I (यहाँ क्लिक करें)
वच्चो, आपने दृश्य देखे है न?
आपने कौन-से दृश्य देखे ?
इस पर आपका विचार क्या है?
दृश्य किस विषय की चर्चा कर रहे हैं?
प्रदूषण के कारण क्या-क्या हो सकते है?
प्रदूषण से जल स्रोतों की रक्षा कैसे संभव है?
छात्रें के उत्तर सूचीबद्ध करें।
कहें, बच्चो, नदी के संबंध में लिखी एक कविता हमारी दसवीं कक्षा की पाठ्य पुस्तिका में है। देखिए।
प्रश्न करें।
बच्चो, पाठ्य पुस्तिका में कितनी इकाइयाँ है?
पहली इकाई कौन सी है?
पहली इकाई का पहला पाठभाग कौन सा है?
कवि और कविता का नाम क्या है?
निर्देश दें, कि बच्चो, अब आप लोग नदी और साबून नामक कविता का वाचन करें।






नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) TB
नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) mpg
(आ सी टी द्रारा पूरी कविता दिखाएँ।)
कविता में कौन-कौन से जीवजंतुओं के नाम है?
बाग, मछली, कछुआ, हाथी
इन्हीं नामों के आधार पर दल बनाएँ।
दल में शंका समाधान का अवसर दें।
अन्य दलों से शंका समाधान का अवसर दें।
कविता का विश्लेशण करें।
SLIDE 2 (यहाँ क्लिक करें)
विश्लेषणात्मक प्रश्न करें।
कविता में ऩदी किस अर्थ में प्रयोग किया हैँ?
कारखाना शब्द का अर्थ क्या है, इसका मतलब क्या हैँ?
साबून का प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
मरी हुई इच्छा का मतलब क्या हैँ?
कविता का वैयक्तिक रूप से आस्वादन टिप्पणी लिखने का निर्देश दें।
दल में चर्चा करके परिमार्जन करने का निर्देश दें।
दलों से उपजें एकत्रित करें और अदल-बदलकर अन्य दलों में दें।
पूछें, आस्वादन टिप्पणी की मूल्याँकन बिंदुएँ क्या-क्या है?
उत्तरों को सूचीबद्ध करें। (यहाँ क्लिक करें)
कवि और कविता का परिचय
भावपक्ष
शिल्पपक्ष
भाषा
प्रासंगिकता
अपना मत
पूछें, तो आस्वादन टिप्पणी की मूल्याँकन सूचक क्या-क्या है?
(यहाँ क्लिक करें)
दलों में मिली आस्वादन टिप्पणी का मूल्यांकन करने का निर्दोश दें।
हर दलें से मूल्यांकन संबंधी टिप्पणी करने का निर्देश दें।
प्रस्तुतीकरण करवाएँ।
अद्यापक अपना प्रस्तुतीकरण करें।
(यहाँ क्लिक करें)
पाठ्यपुस्तक की मूल्यांकनफारमाट के आधार पर आस्वादन टिप्पणी का स्वनिर्धारण करें।
पुनर्लेखन करके पोरट फोलियो में संकलन करने का निर्देश दें।









छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)





















छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)








छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)











छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)



छात्रों की भागीदारी पर टिप्पणी(TM)







छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)




छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)









छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)
छात्रों की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी(TM)






















नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) TB
नदी और साबून (यहाँ क्लिक करें) VIDEO
(आ सी टी द्रारा पूरी कविता दिखाएँ।)
कविता में कौन-कौन से जीवजंतुओं के नाम है?
बाग, मछली, कछुआ, हाथी
इन्हीं नामों के आधार पर दल बनाएँ।
दल में शंखा समाधान का अवसर दें।
अन्य दलों से शंखा समाधान का अवसर दें।
कविता का विश्लेशण करें।
SLIDE2(यहाँ क्लिक करें)
विश्लेषणात्क प्रश्न करें।
ऩदी किसका प्रतीक हैँ?
कारखाना किसका प्रतीक हैँ?
साबून किसका प्रतीक हैँ?
मरी हुई इच्छा किसका प्रतीक हैँ?
आप कहें
कविता का वैयक्रिक रूप से आस्वादन टिप्पणी लिखने का निर्देश दें।
दल में चर्चा करके परिमार्जन करने का निर्देश दें।
दलों से उपजें एकत्रित करें और अदल-बदलकर अन्य दलों में दें।
पूछें, आस्वादन टिप्पणी की मूल्याँकन बिंदुएँ क्या-क्या है?
उत्तरों को सूचीबद्ध करें।
कवि और कविता का परिचय
भावपक्ष
शिल्पपक्ष
भाषा
प्रासंगिकता
अपना मत
दलों में मिली आस्वादन टिप्पणी का मूल्यांकन करने का निर्दोश दें।
हर दलें से मूल्यांकन संबंधी टिप्पणी करने का निर्देश दें।
प्रस्तुतुकरण करवाएँ।
अद्यापक अपना प्रस्तुतीकरण करें।
पाठ्यपुस्तक की मूल्यांकन फारमाट के आधार पर स्वनिर्धारण करें।
पुनर्लेखन करके पोरट फोलियो में संकलन करने का निर्देश दें।

वार्तालाप

मान लें कि मानव के अनियंत्रित हस्तक्षेप से प्रदूषित और नाशोन्मुख नदी किनारे के एक पेड़ से अपनी व्यथा सुनाती है। वह संभावित वार्तालाप तैयार करें।

नदी-पेड़: वार्तालाप
पेड़: इतनी दुखी क्यों हैं?
नदी: क्या बताऊँ, मेरी हालत देखिए न कितनी शोचनीय है।
पेड़: क्या-क्या कठिनाइयाँ हो रही हैं?
नदी: मेरा जल देखो, इसे इतना प्रदूषित बना दिया है कि उपयोग करना असंभव
बन गया है।
पेड़: ऐसा क्यों हो रहा है इसके पीछे किसके हाथ हैं?
नदी: मैं सभी पशु-पक्षियों, मानव, पेड़-पौधे आदि सबकी सेवा करना चाहती हूँ।
लेकिन मुझे तो बदले में पीड़ा ही मिलती है।
पेड़: आपको सबसे ज़्यादा पीड़ा और तायनाएँ किसकी ओर से हो रही हैं?
नदी: इस जगत में सबसे बुद्धिमान तो मानव माने जाते हैं। लेकिन वही मानव मेरी
इस हालत का मुख्य कारण है।
पेड़: मानव कैसे आपको प्रदूषित और अनुपयोगी बना देता है?
नदी: मानव अपनी सुख-सुविधाएँ बढ़ाने के लिए जो नए-नए आविष्कार करते हैं
वे सब मेरे लिए अत्यंत दोषकारी बन जाते हैं। प्लास्टिक जैसे सारे कूड़े-
कचड़े मेरे ऊपर फेंक दिए जाते हैं।
पेड़: ये सारे कारखाने आदि अपके किनारों पर ही स्थित हैं न?
नदी: ज़रूर। वहाँ से निकलते मालिन्य, विषैले जल आदि अत्यंत मारक हैं। उसके
बारे में सोचते ही मुझे डर होता है।
पेड़: आपका जल के उपयोग से मानव खेती करता है। बदले में उसका व्यवहार
कैसा है?
नदी: वह भी निर्दय है। जनसंख्या वृद्धि के साथ ज़्यादा अनाज पैदा करना
आवश्यक बन गया। तब अंधाधुंध कीटनाशी दवाइयों का प्रयोग शुरू किया
गया है। वह भी मेरे जल से ही मिल जाती हैं।
पेड़: अच्छा ये सब कैसे बदलेगा?
नदी: हमारे चिंता और विचार से मात्र इसका समाधान नहीं होगा। मानव ही इसका
समाधान कर सकता है।
पेड़: हम प्रार्थना करें कि इस मानव को ऊपरवाला अच्छी बुद्धि दें।

Friday, January 27, 2012

GRID

पाठ्यक्रम
इकाई
समस्या क्षेत्र /समस्या
आशय
गद्य
पद्य
अतिरिक्त वाचन
उपज
भाषापरक
प्रक्रिया
समय
बसेरा लौटा दो
जल-थल संसाधनों के प्रबंधन में वैज्ञानिकता का अभाव











प्रकृति पर मानव के अनियंत्रित हस्तक्षेप से
प्राकृतिक संपदा का शोषण ।
मनुष्य स्वार्थ-पूर्ति के लिए जो कार्य कर रहे हैं उससे जलस्रोतों का दोहन हो रहा है।

नदी और साबुन

आस्वादन
टिप्पणी
लिंग का प्रयोग




गौरा
(रेखाचित्र)


वार्तालाप
संगोष्ठी
हिंदी एवं मातृभाषा के समध्वनीय शब्दों का संकलन ,योजक का प्रयोग ,विशेषण का संकलन




हाथी के साथी
(घटना)

चिड़िया
(कविता)
रपट
वर्तमानकालीन क्रियाओं का
प्रयोग



मानव के स्वार्थ एवं क्रूर-व्यवहार पशु-पक्षीयों के नाश के कारण बन रहे हैं।

जंगल की भारी मात्रा में कटाी पसु-पक्षियों की भूखमरी एवं बेघर हो जाने की वजह बन जाती है।
उद् घोषणा


उद् घोषणा
भविष्यकालीन
क्रियाओं का प्रयोग




पारिभाषिक शब्दावली


संकलन
संचार-संबन्धी
पारिभाषिक शब्दों का
संकलन












जंगल की भारी मात्रा में कटाई पशु-पक्षियों की भूखमरी एवं बेधर हो जाने की वजह बन जाती है।













चित्र प्रदर्शनी
हिंदी क्लब का

उद् घाटन
20 अगस्त 2011
पूर्वाह्न 11 बजे
स्कूल सभागृह में
हिंदी -साहित्यकारों की फोटो -प्रदर्शनी
हिंदी साहित्यिक प्रतियोगिताएँ
कविता-पाठ प्रतियोगिता सार्वजनिक सम्मेलन


जी.एच.एस.एस.,पेरुम्बलम

सबका स्वागत....
दैनिक आयोजन
इकाई का नाम – : बसेरा लौटा दो
पाठभाग का नाम –: हाथी के साथी (घटना )
समस्या : भारी मात्रा में जंगल की कटाई पशु-पक्षियों की भूखमरी एवं बाघर हो जाने की वजह बन जाती है।
सहायक सामग्री - पशु-पक्षीयों पर होनेवाले अत्याचार पर आधारित वृत्तचित्र के क्लिपिंग ।
कोई रपट -समाचार पत्र में छपे चित्र आदि।
प्रक्रिया -
हाथी पर होनेवाले अत्याचार पर आधारित वृत्तचित्र का भाग का प्रदर्शन ।
इस पर चर्चा
इसकेलिए छोटे प्रश्न पूछें-
जैसे-
• जीव जंतुओं पर अत्याचार होने से प्रकृति संतुलन में क्या कोई असर होता तो उसके क्या- क्या कारण हो सकते है ?
चर्चा का संक्षिप्तीकरण
• मानव जानवरों को पीड़ा पहुँचाए और उनकी हत्या करें तो निरीह बेसहारा जानवर क्या करें ?
वे हारकर कभी खेत और कभी घर बरबाद करके मानव के कारनामों का बदला लेते है।
हाथी के साथी -शीर्षक रचना एक सच्ची घटना पर आधारित है।

"हाथी के साथी" की वाचन प्रक्रिया
दलों में बैठकर आशयों का आदान -प्रदान
आ क्या आशय ग्रहण केलिए सहायक प्रश्न
> हाथी के बेघर हो जाने का क्या तात्पर्य है ?
> किसी के बेघर हो जाने पर क्या होता है ?ं
> जंगली जानवरों के बेघर हो जाने का क्या असर पड़ता है ?
> रौंद डालना - मुहावरे से आपने क्या समझा है ?
> पशु-पक्षियों को मारना कानूनी जुर्म है। यह जानते हुए भी मनुष्य उनके प्रति कैसा
व्यवहार करते है ?
> ज़ोर से बिजली का झटका लगा और वह मर गया - इसके समान कोई घटना
अनुभव में है तो सुनाएँ ।
> हाथी के बेघर होने में मानवसमाज का असंगतिपूर्ण विकास कहाँ तक ज़िम्मेदार है?
> गाँववालेों की जगह अगर आप होते तो मरे हुए हाथी के साथ कैसा व्यवहार करते?

संकलन कार्य
पाठ के विषय से संबन्धित चित्र इकट्ठा करें।
लंबी कहानी

मेमना
हिंदी के प्रमुख कहानीकार श्री लोकबाबु द्वारा लिखित एक कहानी है-मेमना। इस कहानी का नायक एक किसान है। मुसरा उसका अपना गाँव था । वहाँ उन्हें पाँच एकड़ ज़मीन थी। एक दिन वह खेती
केलिए अच्छे चीज़ो की तलाश में अपने मंझला भाई के पास गया। लेकिन बीज नहीं मिले उलटे भाई
ने एक मेमना उठाकर उसे पालने पोसने केलिए सौंप दिया ।
किसान मेमने को साथ लेकर गाँव जाने केलिए रेलवे स्टेशन की ओर चला । रास्ते में उसके गाँव मुसरा के एक किसान से मिला । उसने अपनेलिए टिकट और गाड़ी में यदि मिल सके तो जगह रखने केलिए
किसान से कहा था । इसलिए उन्होने दो टिकट लिये थे ।
रेलगाड़ी में बड़ी भीड़ थी। द्वितीय श्रेणी के गंदे और बदबुदार डिब्बे में किसान को थोड़ी सी जगह मिली।
उस डिब्बे में उजले कपड़े पहने अफसरनुमा स्वभाव वाले कुछ नौजवान लड़के बिना टिकट बैठे हुए थे।
उन्होने अपनी उपस्थिति ,हावभाव और बोलचाल से पूरे डिब्बे में आतंक -सा मचा रहा था।
रेलगाड़ी में भीड़ अधिक होने लगी। भीड़ से घबराकर मिमियाते मेमने की फिक्र और डिब्बे के मध्य ,
जहाँ वे लड़के बैठे थे , खड़े होने की जगह देखकर किसान वहाँ चला आया । किसान का वहाँ आना लड़को
को पसंद न आया । लड़को ने घृणा का भाव प्रकट करते हुए किसान को तंग करने लगा। लेकिन
किसान खेतो में बोने केलिए बीज-धान की सोच में पड़ गया ।
तभी ऊपर की सीट पर बैठा एक लड़का खायी हुई फल्ली के छिलके नीचे बैठे दूसरे यात्रियो पर जान बूझकर गिराता हुआ उतरा और उसके बदले दूसरा लड़का ऊपर की सीट पर चढ़गया ।उसके जूते की धूल
नीचे बैठे यात्रियो के सिर पर गिरी, मगर वे चुप रह गए ।उन्होने सोचा कि इन बदमाशो से लड़ना अपनी
पोसिष़न खराब करनी हे।गाड़ी चलती रही। उन लड़को में से एक ने जेब से कीमती सिगरेट का पैकट निकाला और सभी लड़को को बाँट देने के बाद माचिस के लिए हाथ डाला । उसकी माचिस की डिबिया
में दो तीलियाँ था,जो उसकी असावधानी से बिना सिगरेट सुलगे नष्ट हो गई।उन्होने डिब्बे के दोनो छोर की ओर देखकर पूछा- "अरे किसी के पास माचिस है क्या ?” कहीं से जवाब नहीं आया । कुछ यात्रियो के पास
माचिस थी , मगर देने की इच्छा किसी की नही थी। तुम्हारे पास है लड़के ने किसान से पूछा तो उन्होने
जेब से माचिस की डिबिया पकड़कर अपनी जेब में रख ली।सारे लड़के एक दूसरे की ओर देखकर ठहाका
मारकर हंस पड़े। सब मिलकर किसान की मजाक उठाने लगे। किसान ने विवश होकर सबको जवाब दिया।डिब्बे में शेष सभी यात्रीयो का ध्यान किसान की ओर था।
गाड़ी चलती रही। किसान का अपना स्टेशन मुसरा आनेवाला था। वह दरवाज़े की ओर सरक रहा था। तब एक विचित्र घटना घट गई। ऊपर की सीट में बैठे एक लड़के ने अपनी जली हुई सिगरेट किसान के हाथ में लटकते हुए मेमने के सिर में दबाकर बुझा दी।मेमना चिहुक कर मिमियाने लगा। दूसरे लड़के ने किसान की पगड़ी में ही सिगरेट दबा दी। किसान ने मेमने को नीचे रखा और ऊपर की सीट में बैठे लड़के की कालर पकड़कर ज़मीन पर खींच लिया । वह नीचे की सीट में बैठे लड़को के पावो पर गिरा और तीनो
कराहने लगे। किसान ने ऊपर बैठे मोटे लड़के के गाल पर झपट मारा तो दो लड़के के गाल पर झपट
मारा तो दो लड़के के गाल पर झपट किसान पर झपटे, मगर किसान अपने हाथो से रोक लिया।सब लड़के घबराए-से अपनी सीट पर सिमट गए।इस घटना के कारण उस डिब्बे के यात्रियो के मन में उस किसान के प्रति सम्मान और अपनापे की भावना भर आई और डिब्बे में आतंक और उत्पात का वातावरण समाप्त हो गया।मुसरा रेलवे स्टेशन आ गया।किसान बड़ी सरलता से नीचे उतर आया ।मेमने को कंधे पर उठाए वह घर की ओर चला।

०००००००००००००००००००००००००
गौरा रेखाचित्र की मुख्य घटनाओं का क्रमबद्ध उल्लेख करें।
• महादेवीजी अपनी छोटी बहन श्यामा के घर से बछिया लाई।
• परिचायक और परिवारवाले उसे बहूत प्यार करते थे।
• उसका नाम रखा गौरा।
• वह अन्य जीव-जंतुओं से हिल मिल गयी।
• पैर की आहट से वह सबको पहचानती थी।
• एक वर्ष के बाद वह माँ बन गयी।
• दुग्ध-दोहन के समय सभी जीव-जंतु उसके आस-पास बैठते थे।
• दुग्ध-दोहन वहाँ के ग्वाले ने किया।
• कुछ मास के बाद वह दुबली-पतली हो गयी।
• डाक्टरों ने निर्णय किया कि उसके ह्रदय के अंदर एक सूई चुभी हुई है,
इसलिए रक्त संचार रुक गया है।
• वह मरणासन्न स्थिति में थी ।
• ग्वाले ने स्वार्थवश गुड़ के अंदर सुई रखकर गौरा को खिलाया था।
• पता चलते ही ग्वाला अतर्धान हो गया।
• सूई न चुभने के लिए उसको सेब का रस दिया।
• इंजक्शन भी दिया।
• महादेविजी को देखते ही उसकी आँखों में प्रसन्नता आती थी।
• अंत में एक दिन बड़े सबेरे चार बजे महादेवीजी के कंधे पर मुख रखकर वह
मर गई।
• उसका पार्थिव अवशेष गंगा में समर्पित किया।
महादेवी वर्मा की डायरी

18-7-2011
आज के समान एक बुरा दिन फिर कभी न आए।गौरा मुझसे विदा लेकर चली गयी।कितनी मार्मिक थी आज उसकी नज़र। मैं अपना दुख सह नहीं सकती।उसकी आँखों का दैन्य मेरी आँखों के सामने अब भी है।श्यामा के घर से गौरा को यहाँ लाते वक्त कितनी खुशी थी यहाँ।सब उन्हें देखने और छूने-चूमने केलिए उत्सुक थे।उस दिन की आरति की चमक सदा उसके चेहरे पर थी।
मेरे घर के सब जीवों को वह बहूत प्यार करती थी।मुझे देखते ही सहलाने के लिए गर्दन बढ़ा देने का दृश्य याद आते वक्त मैं आँसुरोक न सकती ।लालमणी पैदा होने के बाद अपना दूध वह खुशी से सभी को देती थी।सब जीव उसे भी प्यार करते थे।गौरा जैसे बेचारे जीवों से ऎसा क्रूर व्यवहार उसने क्यों और कैसे किया ?ग्वाला ने स्वार्थतावश गौरा को मारा।गौरा का दुर्बल रूप देखकर मैं बहूत चिंतित थी।डाक्टरों ने उसके अंदर की सूई के बारे में बताते वक्त मैं सिहर
उठी।क्या वह ग्वाला उतना क्रूर था ?
फिर मोटे सिरिंज से इंजक्शन ,दवाएँ ,अंदर से सूई की चुभन आदि से परेशान होकर ही है बेचारा गौरा की मौत।अंत के समय लालमणी को चाटने की शक्ति भी उसमें नहीं थी।केवल दर्दभरी दृष्टि से सबों को देख-देखकर समाप्त हो गयी।आज ब्रह्ममुहूर्त में मैं उसके पास बैठे वक्त गौरा की आत्मा मुझे छोड़कर
स्वर्ग चली गयी।इतना समय रोने पर भी उसके अभाव का दुख मुझसे नहीं जाता ।मैं क्या करूँ ? आज का दिन मैं कैसे भूलूँ ? नहीं गौरा , मैं तुझे सदा याद करूँगी ।
नदी की आत्मकथा
मैं अपने पिता पवित्र हिमालय का प्यार पाकर पली थी। तब मैं कितनी खुशी में थी। बड़ी मजबूत ,ओज -भरी नदी थी।कल-कल करके बहकर आते वक्त राह में खड़े पेड़ पौधों से बातें करके और छोटी पहाड़ियों से बातें करके और छोटी पहाड़ियों से दोस्ती करके आती थी।वह मेरे जीवन का वसंतकाल था।मेरे जल में कई तरह की मछलियाँ थी।उनका तैरना मैं आनंद से देखती थी।बाघों का खेल ,कछुओं के पीठ से उलीचा जाना हाथियों की जलक्रीड़ा आदि मैं खुशी के साथ सहती थी।लोग अपने खेतों की सिंचाई और घर की उपयोगिता केलिए मेरा जल लेते थे ।ये सब मैं पसंद करती थी क्योंकि तब मैं उतनी स्वच्छ थी।
काल बदलने के अनुसार मेरा रूप भी बदल गया ।इसका उत्तरदायी मैं नहीं।मुझे प्यार करनेवाले लोगों ने ही मुझे गंदा करना शुरू किया ।नहाना,जानवरों को नहलाना ,कूड़ा कचरा डालना आदि से उन्होंने दुबली और गंदी हो गयी।कारखानों से लाभ उठानेवाले लोग वहाँ के अवशेष मुझ में डालते हैं। तब से मैं काली बन गयी लोगों का यह काम भी मैं मौनरूप से सहती हुँ।
मेरा दुख यह है कि स्वच्छता की बात मैं एक साबुन की टिकिया के पीछे है।क्यों ये लोग मुझ से ऎसा व्यवहार करते हैं ? क्या मैं उनका साथी नहीं हुँ ? मेरा विश्वास है कि जल्द ही जल्दवे मेरी सुरक्षा का उपाय ढूँढेंगे ।
നദിയും സോപ്പു്കഷണവും
( ജ്ഞാനേന്ദ്രപതിയുടെ "നദി ഔര്‍ സാബുന്‍ "എന്ന കവിതയുടെ
സ്വതന്ത്ര പരിഭാഷ )

നദി നീ ഇത്ര മെലിഞ്ഞിരിക്കുന്നതെങ്ങനെ ?
മലിനവും വൃത്തികെട്ടവളുമായി
മൃതസ്വപ്നങ്ങള്‍ കണക്കെ മത്സ്യങ്ങള്‍
പൊങ്ങികിടക്കുന്നതെന്ത് ?
നിന്റെ ദുര്‍ദിനങ്ങളിലെ കെട്ടവെള്ളത്തില്‍
നിന്റെ നീരൂറ്റിയപഹരിച്ചതാര്?
കളകളാരവത്തില്‍ കാളിമ തീര്‍ത്തതാര്?
കടുവകള്‍ തിമിര്‍ത്താടിയിട്ടു
കെട്ടുപോയിട്ടില്ലൊരിക്കലും
ആമകളുടെ കടുത്ത പുറന്തോടില്‍
തട്ടിതെറിച്ചിട്ടും
ആന നീരാട്ടും സഹിച്ചു നീ സാനന്ദം
ആഹാ.. പക്ഷേ
സ്വാര്‍ത്ഥ പണിശാലകളുടെ അമ്ള വിസര്‍ജ്യം സഹിച്ച്
നീലിമ പടര്‍ന്നു നിന്‍ ശുഭ്ര മേനിയില്‍
തലയ്ക്കല്‍ ഹിമവാനൊരുത്തനുണ്ടായിട്ടും
കൈവെള്ളയിലൊതുങ്ങുന്ന സോപ്പുകഷ്ണത്തോട്
തോറ്റുപോയല്ലോ നീ യുദ്ധം ...
जैनी की डायरी








आज कैसा दिन था.....। सबेरे से ही बारिश थी।दूपहर से घनघोर वर्षा…..फिर भी वे गए..।मैं ने कितनी बार कहा उनसे-आज मत जाना.. पर वे नहीं माने..।बच्चों के लिए गए।ओह..तूफ़ानों का गर्जन..........
वे गहरे समुद्र में …..
मौसम अच्छा नहीं।यह समझकर वे जल्दी ही लौटें।
कल इन बच्चों को क्या खिलाऊँ ? उनके लिए कुछ बाजरा बाकी है।एक दिन ज़रूर उनको भी गेहुँ की रोटी दूँ।
तब वे कितने खुश होंगे ?
इन नादान बच्चों केलिए ही वे इतनी कठिनाइयाँ सहते हैं।
हे भगवान ! वे गहराई में न हो।उनके प्राणों की रक्षा कीजिए
मेरी प्रार्थना स्वीकार करें।
सकुबाई से सफाई घर की भी, दिल की भी
नाटक में आप जितने भी प्रयोग कर लें, पीरियड ड्रामा ले आएं, ड्रामे के माध्यम से आप राग रंग, नट भाव, उपमा, उपमान की बातें बताएं, सच तो यह है कि आम आदमी नाटक के उन्हीं हिस्सों से जुड़ पाता है, जिसके साथ वह अपना जीवन देख पाता है। पौराणिक आख्यानों में भी वह वहीं तक पहुंचता है, जहां उसे आज का अपना समाज, परिवेश दिखाई देता है। ऐसे में सामजिक या यों कहें कि घरेलू पृष्ठभूमि पर खेले गये नाटक से दर्शक तुरंत अपना नाता जोड़ लेते हैं। एकजुट थिएटर ग्रुप प्रस्तुत नादिरा ज़हीर बब्बर लिखित व निर्देशित नाटक “सकुबाई” नाटक एक ऐसी ही रचना है, जिसमें घर-घर काम करनेवाली बाई सकुबाई के माध्यम से समाज में एक साथ ही जी रहे नाना वर्गों के नाना जीवन को देखे जाने की कोशिश है। साथ ही साथ खुद उसके अपने जीवन की भी। एक आम मध्य या उच्च वर्ग और तथाकथित निम्न वर्ग में कोई फर्क़ नहीं रह जाता, जब मामला प्रेम, सेक्स, घरेलू हिंसा, बलात्कार, आपसी जलन आदि पर आता है, बल्कि कई बार तो ये तथाकथित निम्न वर्ग के लोग इन संभ्रांत लोगों पर भारी पड़ जाते हैं। क्या फर्क़ रह जाता है सकुबाई या उसकी मालकिन में कि दोनों के ही पति के विवाहेतर संबंध हैं। विरोध करने पर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर मालकिन भी पति के हाथों बुरी तरह पिटती है, मगर बच्चों की खातिर घर नहीं छोड़ पाती। मगर, फर्क़ है। सकुबाई के पति के संबंध जग जाहिर हैं। मालकिन के पति के संबंध सामाजिकता की खोल में छुपा। नौकरानी हो कर भी सकुबाई इतनी ईमानदार है कि मालकिन अपना पूरा घर उसके ऊपर छोड़ देती है, जबकि उसी मालकिन की करोड़पति सहेली मालकिन के पर्स से उसके हीरे की अंगूठी चुरा लेती है। मुंबई में आपको ऐसी ईमानदार बाइयों की फौज़ मिलेगी। बल्कि यूं कहें कि जिस तरह हर सफल पुरुष के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है, उसी तरह हर सफल औरत के पीछे उसकी बाई का हाथ होता है।
एकपात्रीय नाटक को कुशलतापूर्वक डेढ़ घंटे तक खींच ले जाना किसी समर्थ कलाकार की ही खासियत है और यह विशेषता निस्संदेह सकुबाई की भूमिका में सरिता जोशी की है। सरिता जोशी गुजराती थिएटर और फिल्म की मशहूर और बड़ी कुशल, इसलिए सफल अभिनेत्री हैं। वे लगभग 45 सालों से भी अधिक समय से अभिनय के क्षेत्र में हैं। एकपात्रीय अभिनय में सब कुछ उसी पात्र को दर्शाना होता है और सरिता जोशी ने मालिक से लेकर अपने पति और बूढ़ी मां की भी भूमिका बड़ी कुशलता से निभायी है। तदनुसार आवाज़, शारीरिक भंगिमा, चेहरे पर भाव। हालांकि उम्र अपनी छाप उन पर छोड़ने लगी है। बीच-बीच में वे हांफ जाती रहीं, संवाद भी लगा कि कुछ भूलती सी रहीं। मगर यह उनकी नाट्यकुशलता ही थी कि इसे उन्होंने ज़ाहिर नहीं होने दिया।
यह नाटक 1999 में पृथ्वी फेस्टिवल में ओपन हुआ था। तब से इस नाटक के कई शो हो चुके हैं। नादिरा बब्बर के यह भी पुराने नाटकों मे से एक है, जिसमें उनकी पुरानी मेहनत व प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है। सेट प्रभार, स्टेज और प्रोडक्शन सभी में हनीफ पटनी ने अपनी कुशलता दिखायी है। फिर भी, नाटक के दस साल हो जाने के कारण सेट अब पुराने हो चुके हैं, जो स्टेज पर भी दिखते हैं। प्रकाश व्यवस्था नाटक के अनुरूप थी और संगीत संचालन एक्टर को अभिनय के साथ-साथ डांस करने व अन्य हाव-भाव के लिए पर्याप्त स्पेस देता है। “दयाशंकर की डायरी” की तरह ही यह नाटक आपको अपने से जोड़ कर रखता है, बल्कि कुछ अधिक ही, क्योंकि आखिरकार यह एक महिला की लिखी, महिला की ज़ुबानी, महिला की गाथा है, और महिला की कहानी में प्रताड़णा के भाव तनिक अधिक तो रहते ही हैं, जिसमें व्यक्ति और परिवेश दोनों की ही भूमिका रहती है। इसलिए यह नाटक हो सकता है आपको “दयाशंकर की डायरी” से अधिक अपील करे, जैसा कि इसने यहां के दर्शकों को किया था।