नदी की आत्मकथा
मैं अपने पिता पवित्र हिमालय का प्यार पाकर पली थी। तब मैं कितनी खुशी में थी। बड़ी मजबूत ,ओज -भरी नदी थी।कल-कल करके बहकर आते वक्त राह में खड़े पेड़ पौधों से बातें करके और छोटी पहाड़ियों से बातें करके और छोटी पहाड़ियों से दोस्ती करके आती थी।वह मेरे जीवन का वसंतकाल था।मेरे जल में कई तरह की मछलियाँ थी।उनका तैरना मैं आनंद से देखती थी।बाघों का खेल ,कछुओं के पीठ से उलीचा जाना हाथियों की जलक्रीड़ा आदि मैं खुशी के साथ सहती थी।लोग अपने खेतों की सिंचाई और घर की उपयोगिता केलिए मेरा जल लेते थे ।ये सब मैं पसंद करती थी क्योंकि तब मैं उतनी स्वच्छ थी।
काल बदलने के अनुसार मेरा रूप भी बदल गया ।इसका उत्तरदायी मैं नहीं।मुझे प्यार करनेवाले लोगों ने ही मुझे गंदा करना शुरू किया ।नहाना,जानवरों को नहलाना ,कूड़ा कचरा डालना आदि से उन्होंने दुबली और गंदी हो गयी।कारखानों से लाभ उठानेवाले लोग वहाँ के अवशेष मुझ में डालते हैं। तब से मैं काली बन गयी लोगों का यह काम भी मैं मौनरूप से सहती हुँ।
मेरा दुख यह है कि स्वच्छता की बात मैं एक साबुन की टिकिया के पीछे है।क्यों ये लोग मुझ से ऎसा व्यवहार करते हैं ? क्या मैं उनका साथी नहीं हुँ ? मेरा विश्वास है कि जल्द ही जल्दवे मेरी सुरक्षा का उपाय ढूँढेंगे ।
Popular Posts
-
नदी की आत्मकथा मैं अपने पिता पवित्र हिमालय का प्यार पाकर पली थी। तब मैं कितनी खुशी में थी। बड़ी मजबूत ,ओज -भरी नदी थी।कल-कल करके ...
-
बसेरा लौटा दो आस्वादन टिप्पणी( नदी और साबुन) वार्तालाप (गौरा) संगोष्ठी(प्रकृति हमारी माँ और पशु-पक्षी हमारे सहचर) रपट (हाथी के साथी) उद् ...
-
समस्याक्षेत्र : जलस्थल संसाधनों के प्रबंधन में वैज्ञानिकता का अभाव। आशय एवं धारणाएँ : प्रकृति पर मानव के अनियंत्रित हस्तक्षेप से प्राक...
-
जैनी की डायरी आज कैसा दिन था.....। सबेरे से ही बारिश थी।दूपहर से घनघोर वर्षा…..फिर भी वे गए..।मैं ने...
-
गाय के साथ ग्वाला का निर्दयत्व फरूखाबाद - घर में दुग्ध-दोहन के लिए आए ग्वाले ने गाय को गुड़ मेंलपेटकर सूई खिलाई।पशु-चिकित्सकों ने अनेक...
-
गौरा रेखाचित्र की मुख्य घटनाओं का क्रमबद्ध उल्लेख करें। • महादेवीजी अपनी छोटी बहन श्यामा के घर से बछिया लाई। • परिचायक और परिवार...
-
महादेवी वर्मा की डायरी 18-7-2011 ...
-
मान लें कि मानव के अनियंत्रित हस्तक्षेप से प्रदूषित और नाशोन्मुख नदी किनारे के एक पेड़ से अपनी व्यथा सुनाती है। वह संभावित वार्तालाप तैयार क...
-
दैनिक आयोजन इकाई का नाम – : बसेरा लौटा दो पाठभाग का नाम –: हाथी के साथी (घटना ) समस्या : भारी मात्रा में जंगल की कटाई पशु...
No comments:
Post a Comment