जैनी की डायरी
आज कैसा दिन था.....। सबेरे से ही बारिश थी।दूपहर से घनघोर वर्षा…..फिर भी वे गए..।मैं ने कितनी बार कहा उनसे-आज मत जाना.. पर वे नहीं माने..।बच्चों के लिए गए।ओह..तूफ़ानों का गर्जन..........
वे गहरे समुद्र में …..
मौसम अच्छा नहीं।यह समझकर वे जल्दी ही लौटें।
कल इन बच्चों को क्या खिलाऊँ ? उनके लिए कुछ बाजरा बाकी है।एक दिन ज़रूर उनको भी गेहुँ की रोटी दूँ।
तब वे कितने खुश होंगे ?
इन नादान बच्चों केलिए ही वे इतनी कठिनाइयाँ सहते हैं।
हे भगवान ! वे गहराई में न हो।उनके प्राणों की रक्षा कीजिए
मेरी प्रार्थना स्वीकार करें।
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