Popular Posts

Friday, January 27, 2012

महादेवी वर्मा की डायरी

18-7-2011
आज के समान एक बुरा दिन फिर कभी न आए।गौरा मुझसे विदा लेकर चली गयी।कितनी मार्मिक थी आज उसकी नज़र। मैं अपना दुख सह नहीं सकती।उसकी आँखों का दैन्य मेरी आँखों के सामने अब भी है।श्यामा के घर से गौरा को यहाँ लाते वक्त कितनी खुशी थी यहाँ।सब उन्हें देखने और छूने-चूमने केलिए उत्सुक थे।उस दिन की आरति की चमक सदा उसके चेहरे पर थी।
मेरे घर के सब जीवों को वह बहूत प्यार करती थी।मुझे देखते ही सहलाने के लिए गर्दन बढ़ा देने का दृश्य याद आते वक्त मैं आँसुरोक न सकती ।लालमणी पैदा होने के बाद अपना दूध वह खुशी से सभी को देती थी।सब जीव उसे भी प्यार करते थे।गौरा जैसे बेचारे जीवों से ऎसा क्रूर व्यवहार उसने क्यों और कैसे किया ?ग्वाला ने स्वार्थतावश गौरा को मारा।गौरा का दुर्बल रूप देखकर मैं बहूत चिंतित थी।डाक्टरों ने उसके अंदर की सूई के बारे में बताते वक्त मैं सिहर
उठी।क्या वह ग्वाला उतना क्रूर था ?
फिर मोटे सिरिंज से इंजक्शन ,दवाएँ ,अंदर से सूई की चुभन आदि से परेशान होकर ही है बेचारा गौरा की मौत।अंत के समय लालमणी को चाटने की शक्ति भी उसमें नहीं थी।केवल दर्दभरी दृष्टि से सबों को देख-देखकर समाप्त हो गयी।आज ब्रह्ममुहूर्त में मैं उसके पास बैठे वक्त गौरा की आत्मा मुझे छोड़कर
स्वर्ग चली गयी।इतना समय रोने पर भी उसके अभाव का दुख मुझसे नहीं जाता ।मैं क्या करूँ ? आज का दिन मैं कैसे भूलूँ ? नहीं गौरा , मैं तुझे सदा याद करूँगी ।

No comments:

Post a Comment